आखिर चिरंतन काल से बचपन को ही पूरी जिंदगी का सबसे अच्छा काल क्यों कहा गया है. जितना ज्यादा मनुष्य अपने जीवन के अंतिम पड़ाव के पास पहुँचता जाता है उसे अपने बचपन की याद उतनी ही सताने लगती है. बचपन पर न जाने कितनी कवितायेँ ,कितने संस्मरण लिखे गए और लिखे जाते रहेंगे. पर मुझे सबसे अच्छा लगता है बचपन की यादों को दुबारे जीना और ये बहुत आसान है. पर सबसे आसान क्या है वह सभी को पता है.
बचपन की सबसे अहम आधारशिला है “Ignorance is Bliss”. कोई डर नहीं,किसी से डर नहीं. अभिभावकों का सारा दिन “ नहीं-नहीं” रटते ही गुजार जाता है. जिन्होंने जिंदगी भर नकारात्मकता को जीवन से दूर रहना सीखा हो वही बच्चों को “ ये नहीं करो, वहाँ नहीं जाओ, उससे बात नहीं करो “ करते-करते नहीं थकते.
दूसरी याद आती है फिल्म का पर्चा लूटने के लिए विज्ञापन गाडी के पीछे भागना. क्या मंजर रहा होगा 3,4 और 6 साल के लड़के बाग के नल पर नहाना छोड़ कर गाडी के पीछे दौड़ते होगे जिनमे सबसे बड़े के पूरे शरीर में साबुन लगा हुआ और लपेटा हुआ टावेल रस्ते में कही गिरता हुआ. उम्र के हिसाब से उसके पीछे उसके दोनों छोटे भाई बिलकुल नंग-धड़ंग.
बेहद गर्मी की बाद बरसात की पहली बारिश और मोहल्ले के सभी लड़के और कुछ लडकियां भी हल्ला करते, बारिश में भीगते सड़क पर दौड़ते. ऐसे में कोई बच्चा कहाँ परवाह करता है अगर बारिश की तेज और भारी बूंदे उनके शरीर को चोट पहुंचाती हों और शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हों.
भारी बारिश से घर के बाहर नाले में पानी का तेज बहाव और कभी-कभी पूरे सड़क पर घुटने भर पानी आनंद का चरमोत्कर्ष हुआ करता. उस दिन घर के बाहर जाने की कई बहाने निकल जाते. अगर गंदा पानी होने की वज़ह से जाने की सख्त मनाही हो जाती तब कागज के नाव की रेस सोने पे सुहागा बन जाती. बड़े भी इसका मजा लेते , ज्यादातर छोटों के लिए सही नाव तो बनाकर देते ही.
“Child is the father of the man”.विलियम वर्ड्सवर्थ की प्रसिद्ध कविता “ The Rainbow” की इस पंक्ति में न जाने कितने अर्थ छुपे हुए है. क्या ये पंक्तियाँ पुनर्जन्म को इंगित करती नहीं दिखती हैं?
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